दुधमुहे बच्चे को लेकर 50 किलोमीटर चल आधार कार्ड बनाने पहुची बेंगपाल गांव की महिलाएं।
आजादी के इतने साल बाद भी बैलाडीला की तराई क्षेत्र में बसे सैकड़ो गांव के रहने वाले आदिवासी के पास नही कोई भी परिचय पत्र।
कलेक्टर की पहल से अब बनेगा सबका आधार कार्ड।

जिया न्यूज़:-आज़ाद सक्सेना-किरंदुल
किरंदुल:-आपको जान कर हैरानी होगी कि दंतेवाड़ा जिले की बैलाडीला पहाड़ी के तराई क्षेत्र में बसे ऐसे सेकड़ो गांव है जहाँ के रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों के पास किसी भी प्रकार का परिचय पत्र नही है। आजादी के इतने साल बाद भी ये लोग परिचय पत्र के बिना जीवन जी रहे थे।कलेक्टर दंतेवाड़ा दीपक सोनी को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने एस0डी0एम प्रकश भरद्वाज , तहसीलदार पुष्पराज पात्रे से बात कर टीम बना कर किरंदुल में आदिवासी ग्रामीणों के लिए अधार कार्ड बनाने का कैम्प लगाया।जिसके तहत गुरुवार सुबह 70 लोग बेंगपाल गांव से पहुचे। आपको जानकर हैरानी होगी की दुधमुंहे बच्चो को लेकर 50 किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ी नदी नाले पर कर महिलाएं अपना आधार कार्ड बनाने पहुची जिसमे 55 महिलाएं और 15 पुरुष थे।

दुधमुंहे बच्चे को गोद मे लेकर पहुची बुधरी, आयति, हूँगी, ने बताया कि उनके पास आज तक न तो आधार कार्ड बना है ना बैंक खाता न राशन कार्ड, न वोटर आईडी बिना किसी परिचय पत्र के ही ये लोग इतने सालों से जीवन जी रहे है ।जिसके चलते शासन की सभी योजना से ये लोग बंचित हैं उन लोगो ने बताया कि वो लोग 8 जुलाई बुधवार सुबह अपने घर बेंगपाल से पैदल निकले और रात हिरोली डोका पारा में बिताने के बाद गुरुवार सुबह किरंदुल पहुचे। आधार कार्ड बनने पर ग्रामीणो ने खुशी जाहिर करते हुए कलेक्टर दंतेवाड़ा को धन्यवाद दिया। तहसीलदार पुष्प राज पात्रे ने बताया कि सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई गई है।उन्होंने बताया कि कलेक्टर ओर एस0डी0एम सर के मार्गदर्शन में आधार कार्ड बनाया जा रहा है जिसमे बेंगपाल गांव के 70 लोग आए है इसी तरह लावा, पुरेंगल, बड़ेपल्ली,बेंगपल्ली,गुमियापाल ऐसे कई गांव के ग्रामीण के आधार कार्ड बनाने है उन्होंने बताया कि आधार कार्ड के बाद राशन कार्ड ,बैंक खाता, वोटर आईडी भी बनाएंगे। इस क्षेत्र में पहेली बार इन सब का परिचय पत्र बन रहा है।जिसमे ग्रामीण खुद आगे आ रहे है। आपको बतादे की इस पूरे क्षेत्र में कही न कही माओवादियों के दहसत के चलते ग्रामीण शासन की योजना से बंचित रहे पर आज वो अपना भला बुरा समझने लगे है नक्सली फरमान को दरकिनार कर 50 किलोमीटर पैदल चल कर आधार कार्ड बनाने किरंदुल पहुचे है ताकि उनको भी शासन की योजना का लाभ मिल सके।
