

जिया न्यूज़:-बब्बी शर्मा-कोण्डागांव,
कोण्डागांव:-विगत दिनो कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा जब समान्य निरिक्षण हेतु चुरेगाँव स्थित दुग्ध संग्रहण केन्द्र पहुंचे तो कुछ दुग्ध विक्रेताओं द्वारा अवमानक दुग्ध की विक्रय के सबंध मेंं जानकारी दी गई। जिस पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को अवमानक दुग्ध के विक्रय पर रोक लगाने के लिए जल् से जल्द ऐसे लोगो की पहचान कर उनपर जुर्माना लगाने के आदेश दिये थे। जिसके तहत् विगत सप्ताह भर खाद्य औषधि विभाग एवं पशु चिकित्सा विभाग ने संयुक्त टीम बना अभियान चलाकर चुरेगांव कैम्प क्षेत्र मे दबिश दे छोटे-बड़े दुग्ध विक्रेताओं से दुग्ध के नमूने जांच हेतु संग्रहित कर राज्य खाद्य प्रयोग शाला रायपुर प्रेषित किये गये हैंं।
आप को ज्ञात हो कि स्वालंबन एवं रोजगार उपलब्ध कराने के उदे्श्य से क्षेत्र मेंं सत्या दुग्ध सहकारी समिति की स्थापना की गई थी, जिसका संचालन ग्राम वासी दुग्ध उत्पादन कर्ताओं द्वारा किया जा रहा है,परन्तु समिती के संचालन में भारी अनियमिततायें व्याप्त हैं।
समिति के उप नियमों के अंतर्गत वर्णित बिंदु क्रमांक 5.6 v 5. 7 मैं स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि, किसी भी सदस्य को निष्कासन से पूर्व प्रबंध कार्यकारिणी समिति के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु अवसर दिया जाएगा तथा समिति का प्रस्ताव अधिनियम की धारा 19(सी) के अनुरूप होगा परंतु अध्यक्ष तथा सचिव ने समिति की आय-व्यय के बारे में कतिपय सदस्यों द्वारा सामान्य रूप से पूछताछ करने पर व शासन द्वारा दी गई पचास लाख की राशी की जानकारी मांगने पर उनके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए उन्हें समिति से निष्कासित कर दिया है।
शासन द्वारा ऋण के रूप में दी गई राशि 50,000,00 रुपए का आय-व्यय का ब्यौरा समिति के सदस्यों(जो वर्तमान में निष्कासित हैं )को मांगने पर भी नहीं दिया गया तथा दुग्ध प्रदाय कर्ताओं को उक्त राशि से तत्काल भुगतान भी नहीं किया जाता है इसी प्रकार समिति के कार्य क्षेत्र में निवासरत होते हुए गौ-पालन कर दुग्ध का समिति को विक्रय करने वाला व्यक्ति ही सदस्यता का पात्र हो गया (समिति के उप नियमों के अनुसार) परंतु अध्यक्षा व सचिव स्वयं गोपालक नहीं है फिर भी समिति के सामान्य सदस्य नहीं बल्कि पदाधिकारी बने हुए हैं।
समिति के द्वारा लगभग 7,00,000 (सात लाख) रुपये खर्च कर एक वाहन दुग्ध के परिवहन हेतु खरीदा गया है, फिर भी अन्य ग्राम के किसी व्यक्ति के वाहन को किराए पर ले कर दुग्ध परिवहन का कार्य संपादित करवाया जा रहा है।
अब प्रश्न यह उठतें है कि-
यदि किराए के वाहन से ही काम चल रहा था तो समिति की राशि क्यों व्यर्थ व्यय की गई?
समिति द्वारा खरीदे गए वाहन को चलाया जा रहा या खड़ा कर दिया गया है?
यदी उक्त वाहन चलाया जा रहा है तो उस से कितनी आय हो रही है?
यदि उक्त वाहन को खड़ा रखा गया है तो खर्च की गई राशि का ब्याज, किस्त तथा रख-रखाव के खर्च की जिम्मेदारी किस की होगी,क्यों कि कोई भी वाहन खड़े रखने पर भी खराब हो जाता है।
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निःसंदेह क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन मेंं वृद्धि हुई है.परन्तु दुग्ध उत्पादकों को इस समिति से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, क्यों कि समिति द्वारा (२३.५५+२.५०+३.२५)२९.३० प्रति लीटर की दर से दूग्ध क्रय किया जाता है परन्तु खूले बाजार में विक्रय करने पर ३५.००से४.००रुपय प्रति लीटर की दर से विक्रेताओं को नगद भुगतना प्राप्त हो जाता है.वहीं समिति के द्वारा पूर्व में भी अवमानक दुग्ध विक्रय की शिकायत पर तीन विक्रेताओं पर ढ़ाई लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया था। ज्ञात हो कि अवमानक दुग्ध विक्रय मे संलग्न पाये जाने वाले दोषियों पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के अन्तर्गत कठोर कार्यवाही की जा रही है।