

जिया न्यूज़:-रवि दुर्गा-किरंदुल,
किरंदुल:-कोविड 19 नियमों का पालन करते हुए लौह नगरी किरंदुल में हर्षोल्लास के साथ महिलाओं ने घर पर ही हलषष्ठी मां की व्रत पूजा की गई ।
यह व्रत संतान सुख व सौभाग्य बढ़ाने हेतु किया जाता है। हलषष्ठी का व्रत भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को स्त्रियों द्वारा किया जाता है। यह व्रत पुत्र प्रदान करने तथा संतान सुख सौभाग्य व दीर्घायु को बढ़ाने वाला है। इस व्रत को करने से नि-संतान स्त्री को भी संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन हल से जोती गई जमीन से उत्पन्न वस्तुओं तथा गाय के दूध व उससे बनी सामग्री आदि का त्याग किया गया ।
इस व्रत में फल व बिना बोया अनाज आदि खाने का विधान है। इस दिन को हरछठ के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय व नंदी की पूजा का विशेष महत्व है। हलषष्ठी व्रत के लिए भोजन में तलाब में उगा हुआ चावल, सब्जी – में पपीता, मुनगा, कद्दू, सेम,तोरई, करेला, मिर्च, भैंस का दूध, दही, घी महुआ का सूखा फूल, सेंधा नमक, भोजन करने हेतु महुआ का पत्ता या उससे बना दोना का उपयोग किया गया।
इसकी मनोरम झलक नगर रामपुर कैम्प, लक्ष्मणपुर कैम्प, भरतपुर कैम्प, गजराज कैम्प, व्होरा कैम्प आदि इन सभी जगहों में महिलाओं के द्वारा हलषष्टि माँ के लिये व्रत रखकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा की गई ।