November 28, 2023
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बस्तर पूछ रहा अपने अधिकारों के सवाल ,जवाब दे राज्य व केंद्र की सरकार-मुक्तिमोर्चा बस्तर के अधिकारों ,वह विकास के अवशरो पर ,केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा निजीकरण का सडयंत्र करना ,बस्तर के भरोशे का कत्ल करने जैसा कदम-मुक्तिमोर्चा

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मोदी सरकार के सबका साथ सब का विकास व भूपेश सरकार के गड़बो नवा छतीसगढ़ का नारा,बस्तर के संवेधानिक अधिकारों व सपनो को कुचलने के सडयंत्र के लिए हर बस्तरिया याद रखेगा-मुक्ति मोर्चा

मोदी सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण की समर्थक है। तो बिना बस्तर के हितों को तय किये NMDC के 4 खदानों को 20 वर्ष के लिए रिनिलवल करना भूपेश सरकार कौन सा कदम? ,जवाब दे बस्तर के जनप्रतिनिधि-मुक्तिमोर्चा

जिया न्यूज़:-जगदलपुर,

बस्तर में दोनो ही राष्ट्रीय पार्टी बस्तर के विसवास से खेल वोट की राजनीति बन्द करे,बस्तर के भविष्य की रक्षा ,बस्तरिया बनके सयुक्त रूप से हमें करना ही होगा-मुक्तिमोर्चा

मेरा रोजगार मेरा अधिकार अभियान के तहत ,बस्तर के बेरोजगारों को स्वरोजगार अतिथि शिक्षकों के अनुबंध ,कोरोना कॉल में आंगनबाड़ी केंद्रों को बन्द करने , नियमतिकरण,भृष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही जैसी कई जायज मांग को बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा चलाएगा ,जनजागरण महाहस्ताक्षर अभियान-मुक्तिमोर्चा

जगदलपुर:-बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा द्वारा आज बस्तर से जुड़े हुए संवेदनशील मामलों को पत्रकारवार्ता लेकर उठाते हुए केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों को बस्तर के हितों वह भरोशे के विरुद्ध बताते हुए कहा की ,बस्तर के विकास ,अधिकार ,रोजगार व सपनो के साकार करने की नीयत से NMDC द्वारा निर्मित नगरनार स्टील प्लांट का डीमर्जर किये जाने का फैसला पूरी तरह बस्तर के अधिकारों के विरुद्ध लिया गया फैसला है। राज्य सरकार के मुखिया से बस्तर को यह उमीद थी। की वह अपना वो वादा निभाएंगे जो उन्होंने मुख्य विपक्ष के प्रदेश अध्यक्ष रहते नगरनार सयंत्र से पदयात्रा निकाल समस्त बस्तर के वाशियो के समक्ष किया था। की वह और उनकी सरकार किसी भी शर्त पर नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण नहीं होने देंगे। फिर आखिर केंद्र सरकार ,नीतिआयोग वह NMDC की निजीकरण के प्रति मंशा जानते हुए उन्होंने बिना बस्तर की शर्तें तय किये बगैर बस्तर की 4 लौह खदानों को आगामी 20 वर्ष के लिए रिनीवल कर दिया। जबकि कर्नाटक सरकार ने अब तक डोनिम्लाई लौह खदान का लीज रिनिवल नहीं किया ,जो अब न्यायालय में विचाराधीन है। यह सवाल इस लिए उठता है। क्योंकि कॉमन कॉल एनजीओ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में माननीय न्यायालय के आदेश का हवाला दे 2017 में तात्कालिक कलेक्टर द्वारा खनिज नियमों के उलंघन में 16 हजार करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। वही 2003 व 2008 से 10 तक नगरनार स्टील प्लांट के लिए लगभग 2500 एकड़ की जमीन ग्राम सभा आयोजित कर सरकारी सयंत्र हेतु अधिग्रहित की गई है। यह बात केंद्र व राज्य सरकारों याद रहे की बस्तर में पांचवी अनुसूची व 1996 पेशा एक्ट लागू है। ऐसे में निजीकरण को बढ़ावा देना गैर संवेधानिक है। बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा इसका पुरजोर विरोध करता है। वही बस्तर में रोजगार के अवसर पर राज्य व केंद्र सरकार जो कटुरघात कर बस्तर से बहार व अन्य राज्यो से जो आउटसोर्सिंग किया जा रहा है। उसका पुर जोर विरोध करती है। एक तरफ आथिति शिक्षको के अनुबंध को सरकार बस्तर में न बड़ा रही है। और न उनको वेतन दे रही है। जनजातीय सलाहकार समिति की बैठक 2015 में लिए गए फैसलों के तहत राज्य सरकार बस्तर संभाग के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्ग के पदों में सीधी भर्ती प्रतम्भ करे। वह आंध्रपदेश के तर्ज पर सभी निजी कम्पनियो में 100 प्रतिशत बस्तर से भर्ती अनिवार्यता नियम को लागू करे ताकि बस्तर के बेरोजगारों को लाभ प्राप्त हो सके । वही कोरोना से महामारी संक्रमण के चलते जब केंद्र सरकार द्वारा स्कूल व कॉलेज बन्द करने के फैसले किये गए है। वैसे में राज्य सरकार द्वारा आँगबाड़ी केंद्रों को खोलने के आदेश से छोटे बच्चो पर संक्रमण फैलाव का डर उतपन्न हो गया है। जब बस्तर में ग्राम सभा व वार्ड सभा इन केंद्रों की संचालित योजनाओं की मॉनिटरिंग करती है। तो ऐसे में इन संक्रमण कॉल में सरकार जिला प्रशासन के माद्यम से ग्राम सभा व वार्ड सभा की राय आंगनबाड़ी खोलने हेतु अनमोदित कर कोई फैसला करे। वही बस्तर की स्वास्थ्य व्यवस्था वास्तविक अवस्था राज्य सरकार व बस्तर के लोगो के सामने है। ऐसे में कोरोना संक्रमण के तीव्र गति के फैलाव को रोकने हेतु अधिक से अधिक टेस्टिंग व कोरनटाइन सेंटरों में भोजन व दवाइया व रहने की व्यवस्थाओ को दूरस्थ करे क्योंकि पिछले दिनों से लगातार मीडिया के माद्यम से शिकायतें जनता के बीच उजागर हो रही है।वही विगत दिनों बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा ने जितने भी भृष्टाचार से जुड़े हुए मामलों पर कार्यवाही हेतु ज्ञापन सौपे गए है। उन पर कार्यवाही अब तक नहीं किये जाने की क्या वजह है। वह जनता के समकक्ष सर्वजिनक करे। बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा इन सभी मुद्दों के साथ अन्य जायज मुद्दों को लेकर बस्तर की जनता में जनजागरण अभियान की शुरवात कर हस्ताक्षर अभियान चलाएगा व बस्तर के समस्त समाजिक संघटन का व जनता का समर्थन ले इन बस्तर के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ चरन्डब्द्ध आंदोलन की शूरूवात करेगा
संभाग संयोजक नवनीत चांद, संभाग सहसंयोजक डॉ अमित पिटर्स,बस्तर जिला संयोजक भरत कश्यप, सुकमा जिला सहसंयोजक के.सुब्बाराव, बीजापुर जिला संयोजक बालकिशन बजाज, नानगुर ब्लाक प्रवक्ता विकास मांझी, जिला अध्यक्ष अतिथि शिक्षक संघ मनोज ठाकुर,लोहण्डीगुड़ा ब्लाक सहसंयोजक इश्वर बघेल, गोविंद मण्डावी, विजलू मण्डावी, मोहन कश्यप, चैतन कश्यप,राकेश पुनेम, लक्षण सीजी, महिला शहर संयोजक एक्ता, महिला सहसंयोजक सोभा गंगोत्रे, देवकी सेठिया, भुवनेश्वरी पुजारी,नुपूर आचार्य,कुरूमित कौर, त्रिमेंणिक तेलक,ढोली नाग, आदि उपस्थित थे


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