
जिया न्यूज़:-मुनेश सिंग-निघासन
मामला है निघासन क्षेत्र के रहने वाले किसान सरनजीत सिंह। सरनजीत सिंह सरकारी तंत्र की उदासीनता से एक महीने से बेहाल हैं। खून पसीना एक करके खेतों में धान उगाया। फसल कटी तो समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए सरकारी औपचारिकताएं पूरी की। 12 नवम्बर का टोकन मिला। धान लेकर राजापुर मंडी पहुंच गया, लेकिन उसका धान नहीं बिक सका। एक महीना से ज्यादा का समय हो गया। सरनजीत यहीं मंडी में ही सर्द राते इस उम्मीद से बिताते रहे कि अगले दिन धान बिक जाएगा पर धान नहीं बिका।
मंडी सचिव, केन्द्र प्रभारी, एसडीएम के यहां दिन भर चक्कर लगाते रहे। हिन्दुस्तान ने शनिवार के अंक में खबर प्रकाशित की तो केन्द्र प्रभारी पहुंचे। धान खोलकर देखा गया तो खराब हो गया। सरनजीत धान देखते ही फफक पड़े। बोले अब उनके सामने आत्महत्या के अलावा दूसरा विकल्प नहीं। सरनजीत को रोता देख अन्य किसान पहुंचे ढांढस बंधाया। दोपहर बाद केन्द्र प्रभारी रामस्वरूप पहुंचे खराब धान देखकर लेने से मना कर दिया। किसानों ने हंगामा करना शुरू कर दिया तो एक नया बहाना ले आए। बोले जिस ट्राली की बात हुई थी वह यह नहीं है जबकि सरनजीत कहता रहा कि यही ट्राली है। देर शाम तक किसान हंगामा करते रहे। सरनजीत सरकारी तंत्र को कोसते रहे। यह हाल सिर्फ सरनजीत का नहीं है जसप्रीत सिंह, हरनेक सिंह आदि भी 20 दिनों से ज्यादा समय से मंडी में पड़े
-किसान सरनजीत ने बताया कि उससे केन्द्र पर कहा गया बोरे नहीं हैं। दो दिन पहले वह अपने पास से बोरे बाजार से खरीद लाया। इसके बाद भी धान नहीं खरीदा गया। शनिवार को जब केन्द्र प्रभारी रामस्वरूप पहुंचे तो उन्होंने पहले तो धान देखकर लेने से मना कर दिया। जब दबाव पड़ा तो बोले यह ट्राली नहीं है। दूसरी ट्राली है जिस ट्राली का धान खरीदने की बात हुई थी वह यह नहीं है। किसान मिन्नते करता रहा और वह अपनी जिद पर अड़े रहे।