बस्तर की सांस्कृतिक पहचान है कोण्डागांव का एतिहासिक मड़ई मेला।

रिपोर्टर-विश्व प्रकाश शर्मा(बब्बी)
सदियों से लगने वाले इस मेल में क्षेत्रिय परंपरा व संस्कृति के विभिन्न स्वरूप दिखाई देते हैं इस मेले की सबसे खास बात यह है की 22 पाली की देवी देवताओं के साथ गांवों के ग्रामीण अपने ग्राम देवता के साथ इस मेले में शामिल होने आते हैं। इस मेले में देवी देवताओं की विशाल शोभायात्रा में जो नजारा दिखाई पड़ता है ,वह अपने आप में बेहद रोचक है साथ ही आस्था और विश्वास की इंसानी भावना को दर्शाता है।
अपनी विशिष्ट ऐतिहासिक स्थानीय परंपरा के लिए यह मेला पूरे देश में प्रसिद्घ है। यहां बस्तर की ऐतिहासिक, पारंपरिक, आदिवासियों की सांस्कृतिक,धार्मिक छटा दिखाई देती है।
आस्था के अनुरूप देवी-देवताओं के अद्भुत रूपों का प्रदर्शन होता है। क्षेत्रवासियों को कोंडागांव के मावली मेले का वर्ष भर इंतजार रहता है। बस्तर की संस्कृति व परंपरा से परिचित होने के लिए विदेशों से सैलानी भी मेले में पहुंचते हैं। कोंडागांव मेला सप्ताह भर का होता है। जो मंगलवार से शुरू हो कर रविवार तक चलता है।
कोंडागांव निवासी देव भगत नरपति पटेल जो कि ड़ोकरी(बुढ़ी) माता पुजारी भी हैं ने बताया मेले के पहले दिन कोंडागांव के कुम्हारपारा स्थित बूढ़ी माता मंदिर में पटेल गांयता ,पुजारी व सभी ग्रामीण एकत्रित होकर ढोल-नगाड़े, मोहरीबाजा आदि पारंपरीक वाद्य यंत्रों की धुन के साथ बूढ़ी माता की पालकी लेकर मेला स्थल पहुंचते हैं।
बूढ़ी माता या डोकरी माता के आगमन के बाद नगर में आगंतुक देवी-देवताओं का स्वागत सत्कार होता है। इसके पश्चात मेले की प्रमुख देवी पलारी से आई देवी पलारीमाता द्वारा मेला स्थल का फेरा लगाया जाता है।
बाद में अन्य सभी देवी देवताओं, लाट, अंगा, डोली आदि मेला की परिक्रमा करते हैं। मेले में फेरे के दौरान कुछ देवी-देवता लोहे की कील की कुर्सियों में विराजमान रहते हैं। मेला परिक्रमा के पश्चात देवी-देवता एक जगह एकत्रित होकर अपनी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं। जिसे देव खेलाना या देव नाच कहते हैं।
मीना बाजार में कई तरह के झूले यहां लगे हैं, साथ ही सरकारी स्तर पर हस्तशिल्प प्रदर्शनी, महिला समूह के उत्पाद का भी विक्रय सह प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। देश के अन्य राज्यों से भी कारोबारी मेला में पहुंचते हैं, मेले में लकड़ी, बांस, बेलमेटल सहित कई तरह के हस्तशिल्प उत्पाद लोगों को आकर्षित कर रहे है, वर्ष में एक बार लगने वाले मेले में खरीददारों की भीड़ उमड़ती है।