लॉक डाउन की स्थिति में पशु चारे व आहार को तरसे किसान
पशु आहार की दुकानों को खुलवाने शासन प्रशासन से लगायी गुहार


आरती सिंग-गीदम
शासन प्रशासन को जल्द ही दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के प्रति गम्भीरता से निर्णय लेना होगा। वरना दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के दुधारू पशु बिना भोजन के दम तोड़ने लगेंगे। वही इस व्यवसाय से जुड़े किसानों को लाखों की आर्थिक क्षति भी होगी। लॉक डाउन की हालात में शासन ने अनिवार्य सेवाओ में मेडिकल स्टोर्स, किराना दुकान, दूध, सब्जी, फल को छोड़कर सारी दुकानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। रोज मर्रा के सामानों में दूध के विक्रय पर तो छूट दी गई है। मगर प्रश्न यहा यह उठता है की आखिर किसान अपने पशुओं को इस दौरान भोजन की व्यवस्था कैसे करें। पशु आहार की दुकानों पर भी लॉक डाउन के चलते प्रतिबंध लगा हुआ है। पशु आहार की सारी दुकाने बन्द है। दन्तेवाड़ा जिला ही नही सम्पूर्ण छतीसगढ़ के दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसानों के सामने बड़ी जटिल स्थिति दिखाई दे रही है। कि वो अपने इन दुधारू पशुओं की परवरिस कैसे करेंगे। छोटे और मझले किसान जो रोज दूध बेचकर अपने दुधारू गायो के लिए पशु आहार की व्यवस्था कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है उनके सामने अब यह समस्या है की आखिर वो इन हजारो रुपये की एक एक गाय का भरण पोषण अब कैसे करे। विगत दो दिनों से पशु आहार की सारी दुकाने बंद है । दन्तेवाड़ा के किसानो को भूसा ओर पशु आहार की आपूर्ति करने के लिए दुकानदारों को धमतरी ओर रायपुर से दाना मंगाकर सप्लाई करना पड़ता है । ये समस्या दन्तेवाड़ा जिला ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण छतीसगढ़ के किसानों के सामने हैं। दूध की सप्लाई नित्यान्त जरूरी सेवा तो मानी गई है मगर दुधारू पशुओ का पालन कैसे हो इस पर किसी ने भी नही गम्भीरता से नही सोचा। आखिर जब किसानों को उनके दुधारू जानवरो को आहार नही मिलेगा तो पशु पालक भी दूध कहा से उपलब्ध करा पायेगा। दूध की सप्लाई में दूध उत्पादक असहाय मजबूर किसान ही हाथ खड़ा कर देंगे। और ऐसा करना उसकी लाचारी भी होगी। गीदम विकास खण्ड के दुग्ध गोपालक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से मांग की है की राशन दुकानों की तरह किसानों के हितों में पशु आहार की दुकानों पर प्रतिबंध हटाया जाये। जिससे कि किसान अपने दुधारू पशुओं का आहार प्राप्त कर उनका भरण पोषण करते हुये प्रदेश के जरूरत मन्दों को दूध उपलब्ध करा सके। श्री शर्मा ने कहा की किसानों की हालात बेहद खराब है उनके पास यह स्थिति है की दो दिनों का भी पशु आहार नही है। ऐसे में आने वाले दिनों में कैसे लाखों के दुधारू पशुओं को पाला जाये इसकी चिंता किसानों को सत्ता रही है। जिस पर अगर प्रदेश शासन ने समय रहते निर्णय नही लिया तो इस व्यवसाय से जुड़े किसानों को भारी आर्थिक क्षति तो होगी ही। वही बे मौत दुधारू जानवर दम तोड़ेंगे।शासन प्रशासन को इस ओर गम्भीरता से सोचना चाहिये। और राशन दुकानों की तरह पशु आहार की दुकानों पर भी छूट देनी चाहिये। जिससे कि किसान अपने पशुओं व गायो को बचा सके। शासन से अपेक्षा है कि वो जिला प्रशासन को निर्देशित करे की वो तत्काल अपने जिलों में किसानों के हितों में पशु आहर की दुकानों पर से प्रतिबंध हटाये।