सराहनीय पहल
मुनाफा खोरो के लिए आदर्श प्रस्तुत किया डेरी संचालक ने..!
जिन्हें लोग मंदिरो मस्जिदों गुरु द्वारों में खोजते है उसे मैं जरुरत मंद की मुस्कान में देखता हूं…
गीदम-न्यूज़


सम्पूर्ण लॉक डाउन की स्थिति में जब लोग मुनाफा खोरी ओर कालाबाजारी की मानसिकता से
ग्रेसित होकर समय का फायदा उठाने की कोशिश करते है और अत्यंत आश्यक रोजमर्रा की वस्तु के दामों में बढ़ोतरी कर विक्रय करते है..ऐसे विरली ही समाज सेवी होते है जो जन भावना की कद्र करते हुवे सहियोग करने आगे बढ़ते है..ऐसा ही एक उदाहण गीदम के सिध्दी विनायक दुन्ध डेरी ने संचालक दिनेश शर्मा ने समाज के सामने प्रस्तुत किया जो आज चर्चा का विषय है बन गया.. जिन्होंने समाज के जरूरत मन्दों के लिए अपने दुग्ध डेरी के प्रोडक्ट पर बाजार मूल्य से 30% प्रतिशत दाम घटाकर बस स्टैंड गीदम के सिध्दि विनायक रेस्टोरेंट के सामने दूध दही पनीर खोवा रबड़ी घी का वितरण सुबह 7 से 9 तथा शाम 5 से 7 तक आम लोंगो की जरूरत की पूर्ति कर रहे है..जहा दूध जो खुले बाजार में 60 रुपये विक्रय हो रहा उस शुद्ध दूध को मात्र 40 रुपये के विक्रय करने का बीड़ा उठाया..डेरी संचालक श्री शर्मा ने बताया की ऐसे समय पर बच्चे बूढे बीमारों के लिए बड़ी परेशानी होती है ओर वे उस परेशानी को समझते है..उन्होंने बताया एक बार रायपुर से गीदम वे बस से लौट रहे थे उनका लड़का दूध पर निर्भर था उन्हेपता नही था की आगे सब बन्द चल रहा है.. सुबह 6 बजे रायपुर से बस में सवार हो गये…रास्ते मे सारी दुकाने बन्द मिली.
दुधमुंहा बच्चा भूख से व्याकुल होकर परेशान हो गया..हमारे सामने मजबूरी थी… और कही कुछ भी नही मिल रहा था.. बड़ी मुश्किल से हम कांकेर पहुंचे उन्होंने कांकेर में एक घर पर अपरिचित एक महिला से अपनी समस्या बताते हुवे मिवेदन किया तो उस महिला ने एक गिलास दूध मुझे बिना पैसे के दिया.. मेरे लाख बोलमे के बाद भी बहन ने पैसा नही लिया…बच्चे का दर्द और मजबूरी का अहसास मुझे उस दिन बहुत पास से हुवा… ओर यही दिन था जो मुझे एक बहुत बड़ी शिक्षा जीवन मे मिली की जीवन मे कभी ईश्वर को याद करो न करो .मगर किसी जरूरत मंद को सहियोग जरूर करो.? इससे बड़ा पुण्य में समझता हूं और कुछ भी नही है.. जीवन में कमाने के बहुत दिन।पड़े है हमारे पास मगर सेवा का अवसर तो ईश्वर कभी कभी देता है..यही भावना के साथ हम आज समाज के सामने खड़े है..आज जरूरत मन्दों को 30% कम पर अपनी डेरी का शुद दूध..दही, पनीर लस्सी रबड़ी जैसे प्रोडक्ट उपलब्ध करा रहे है…!आज लोंग हमारे इस प्रयास से खुश है..इस लिए हम भी खुश है.. मैन भगवान को तो नही देखा मगर जब किसी जरूरत मंद के चहरे पर खुशी की मुस्कान देखता हूं.. तो लगता है की यह वही भगवान है.. जिसे इंसान मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों गिरजा घरों में तलास करते है.. मैं इनकी मुस्कान में देखता हूँ ..वाक्य डेरी संचालक में मानवता एक मददगार के रूप स्पष्ठ दिखाई देती है जो बहुत कम लोंगो में मिलती है..!