भारतीय किसान संघ ने राज्य सरकार से धान की कीमत के अंतर राशि को देने की मांग की
किसानों की फल सब्जियां खेतो में ही हो रही खराब


आरती सिंग गीदम
गीदम -कीरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये बढे लॉकडाउन के कारण किसान भी चिंतित होता जा रहा है । एक तरफ उसके मन में इस महामारी से लड़ने की बात है तो दूसरी ओर रोजी रोटी की चिंता भी है। खेती किसानी का कार्य भी मंद पड़ गया है। खेती के अतिरिक्त किसानो की अतिरिक्त आय के स्रोत भी बंद हैं। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है किसानों का सरकार की ओर आस लगाकर देखना और यह समयोचित भी है। क्योंकि सभी वर्ग कोरोना वायरस जैसी भयंकर महामारी से भयाक्रांत है तो किसान इस महामारी से कैसे अछूते रहेंगे। ऐसी स्थिति में सरकार का भी दायित्व बनता है किसानों के धान की बची राशि का भुगतान कर दे। राज्य सरकार ने किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीदी की है। उसकी शेष राशि का भुगतान इस विपरीत परिस्थितियों में यह किसानों को मदद करेगा। पूरे प्रदेश से किसानों की यह मांग हो रही है कि धान की शेष राशि किसानों को दी जाय और सरकार ने भी बजट में इसके लिये राशि का प्रावधान कर दिया है। सरकार को बिना विलंब के किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए किसानों को राहत देनी चाहिए और यह उचित समय भी है क्योंकि किसानों को अभी इसकी बहुत आवश्यकता है। लॉकडाउन के कारण की फल व सब्जियों को भी नुकसान हो रहा है। किसानों भारतीय किसान संघ इकाई दंतेवाड़ा के जिला प्रचारक शैलेष अटामी ने राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार को तत्काल किसानों की समस्या पर ध्यान देना चाहिये व शीघ्र ही धान के अंतर की राशि किसानों को प्रदान की जानी चाहिये।