दन्तेवाड़ा जिले के दुग्ध व्यवसाय से जुड़े किसान बेहद परेशान..!
जिले की स्वीट्स की होटलों के बन्द होने से किसानों की चिंता बढ़ने लगी..
ग्रीन जोन जिले में किसानों की समस्या को देखते हुवे थोड़ी राहत की ओर जरूरत..


जिया न्यूज़:-दंतेवाड़ा/गीदम,
दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा में लॉक डाउन के चलते दुग्ध डेरी से जुड़े किसानों की हालत पतली होती जा रही है..किसानों की चिंता दिन प्रति दिन बढ़ने का कारण यह है की आखिर वो अपने दूध के उत्पादन को खपाये तो खपाये कहा मिठाईयो की सारी दुकाने जिले में लॉक डाउन में बन्द पड़ी है। जिले का एक मात्र सरकारी दूध संस्थान से दूध की खपत नही है.. सारी शैक्षणिक संस्थान बन्द पड़ी है जहां सैकड़ो लीटर दूध खपता था…इस कारण किसानों का पूरा दूध खरीदी करने में संस्थान द्वारा आना कानी की जा रही है.. साथ ही संस्थान द्वारा पिछला लाखो रुपये का भुगतान किसानों को अब तक नही दिया गया है उसके चलते किसान पिछली अपनी देनदारी से जूझ रहे है..दूसरी ओर किसान नगदी में दूध बेचकर जो प्रति दिन का हजारो का पशु आहार अपनी डेरी के जानवरों को खिला रहे थे उसका सबसे बड़ा टोटा आज दिख रहा है..क्योकि सरकारी सोसायटी के भुगतान का कोई ठिकाना नही रहता की कितने महीनों इंतजार कराये..क्योकि पशुआहार वर्तमान में नगद की खरीदी जो है आज किसानों के पास दूध का उत्पादन ज्यादा हो रहा है उस हिसाब से खपत नही है.. जिले की स्वीट्स की होटले बन्द के चलते किसानों की चिंता लाजमी है.. क्योकि महंगे ओर दुधारू पशुओं का भोजन उन्हें बाजार से खरीद कर खिलाना जो पड़ता है वो भी कब तक नगद खिला पायेगा.. सामान्य दिनों के अप्रेक्षा वर्तमान लाँक डाउन में पशु आहार मंहगे दर पर खरीदने को मजबूर जो होना पड़ रहा है..दूसरी ओर दूध की खपत बाजार में नही होने के चलते किसान बेहद चिंतित है की अब तक तो किसी भी तरह दुधारू गायो का भरण पोषण कर लिया.. आगे ओर पालन करने में उनकी समर्थता नही रही.. क्योकि उन्हें हजारो का दाना जो प्रति दिन लग रहा है..वर्तमान स्थिति पर अगर हम नजर डाले तो दन्तेवाड़ा जिला प्रदेश में ग्रीन जोन की सूची में है ऐसे में शासन तथा स्थानीय प्रशासन को किसानों के प्रति गम्भीता के साथ विचार करना चाहिए ..ताकि जिले भर के किसानों की चिंता पर विराम लग सके..उनके बैठते हुवे आर्थिक ढांचे पर टेका लग सके..? शासन ने पशु आहार दूध वितरण खेती किसानी पर तो खुली छूट दे रखी है.. मगर दुग्ध उत्पादकों को दूध कैसे ओर कहा खपे उसकी चिंता में चूक जो हो रही है..जिसके चलते किसानों की चिंता जिले भर में देखने को मिल रही है… अगर सशर्त स्वीट्स होटलों को छूट दी जाती है तो किसानों की चिंता में काफी राहत मिल सकती है.. ज्ञात रहे की जब राजधानी रायपुर में प्रशासन ने किसानों की समस्या को मद्दे नजर रखते हुवे होटलों को सशर्त महानगर में दी जा सकती है तो दन्तेवाड़ा तो सेफ जोन है यहा पर भी जिला प्रशासन को इस पर गम्भीरता के साथ मंथन करना ही चाहिए..!