*शासन के नियम निर्देशो के तहत आवेदन दिया तो पुलिस बुलाकर घमकाने का प्रयाससीनियर बाबू ने की नियम की बात तो उसे ही फंसाने में लगा अधिकारी..
आखिर दन्तेवाड़ा में कब तक अंधेर गर्दी का आलम चलता रहेगा..!
डॉक्टर अजमेरसिह का एक ओर कारनामा..शासन प्रशासन की छवि हो रही खराब..!

दिनेश शर्मा:-गीदम,
दंतेवाड़ा:-उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा विभाग में जब से प्रभारी उप संचालक डॉक्टर अजमेर सिंह ने कार्य भार संभाला है तब से उनके भृष्ट कारनामे ने शासन की छवि बिगाड़ने में कोई कसर नही छोड़ी..आदिवासियों की आर्थिक विकास की योजना में तो उनकी लँगोटी उतारने में कही कोई कसर नहीं रखी… इस बदनाम सुदा अधिकारी के कारनामो का खुलासा समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशन के बाद भी जबाब देह अधिकारियों की चुप्पी समझ से परी तो है ही.. विभाग के इन अदधिकारियो के कार्य गुज़रियो पर जबाबदेह अधिकारियों की चुपी इस बात का प्रमाण देती है की ऎसे अधिकारी को मनमानी करने की पूरी छूट प्राप्त है..ओर उसका लाभ भी ये महाशय उठाने में नही चूक रहे है और यही कारण है की इनके होशले बुलंद दिखाई दे रहे है.. सूत्रों का कहना है की ये अपनी पहुँच वरिष्ठ अधिकारियों तक होने की घोष दिखा कर अपने अधिनस्त कर्मियों ओर आम लोंगो को बताकर भय पैदा कर मनमानी करते आ रहे है.. नियम कायदे तो इनके सामने कोई अहमियत नही रखते..! सूचना के अधिकार के तहत जब जानकारी मांगी जाती है तो इन महाशय का जबाब आता है की कार्यालय के दस्तावेज अत्यधिक गोपनीय होने के कारण जानकारी नही दी जा सकती..! जैसे उपसंचालक पशु विभाग दन्तेवाड़ा हमारी आंतरिक ओर सीमा सुरक्षा की व्यवस्था में अहम जबाबदारी का निर्वाहन कर रहा हो..? इस लिए ये अपने कार्यालय की आवेदक को चाही गई जानकारी कैसे देगे..?आलम यह है क़ी प्रभारी उपसंचालक दन्तेवाड़ा ने कार्यालय में वरिष्ठ क्लर्क को नियम से परे हटकर शासन के सारे निर्देश की अवेहलना करते हुवे अपने चहते कनिष्ठ बाबू को कार्यालय की महत्वपूर्ण जबाबदारी सोप रखी है.. ताकि उनके काले पीले की जानकारी किसी को न मिल सके.हद तो तब हुई जब उप संचालक कार्यालय का सीनियर बाबू ने एक आवेदन देकर यह इच्छा जाहिर की वह सीनियर है उसे उसका हक ओर सम्मना शासन के नियमो के तहत दिया जाये..सीनियर बाबू के आवेदन के बाद तो जैसे आग लग गई..उपसंचालक को लगा की उसका सारा खेल बिगड़ जाएगा..उसने बडी चालाकी से सीनियर के खिलाफ षड्यंत्र रचा ही नही बल्कि अपने आकाओं को ये बताया की सीनियर बाबू शराब के नशे में कार्यालय में आकर गाली गलौज कर रहा है..जबकि सीनियर बाबू ने कार्यालय में आवेदन देकर अपने बच्चों की किताबे लेने बाहर निकल गये थे..डॉक्टर अजमेर सिंह ने अपने मधुर सम्बन्धो का लाभ उठाते हुवे सीनियर बाबू के खिलाफ गलत जानकारी इस लिए दी ताकि ऐन कैन प्रकार से वो सीनियर बाबू के खिलाफ ऐसा माहौल निर्मित करे ताकि मनगठत कहानी पर उसे निलंबित कर सके.. वही उनके अपने चाहते जूनियर बाबू कार्यालय के सीनियर पर राज करते हुवे पद पर बने रहे..साथ ही जिस दस्तावेज को डॉक्टर अजमेरसिह अत्यधिक कार्यालय के गोपनीय दस्तावेज बताकर जानकारी देने से घबरा रहे है उस पर भृष्ठाचार की पड़ी परत सलामत रह सके.. इसका डर उन्हें जो सत्ता रहा है..आज जब कार्यालय का सीनियर क्लर्क शासन के नियम कायदे पर अपना अधिकार की बात कर रहा है तो उसे दबाबने के लिए उपसंचालक अपने आकाओं ये माध्यम से झूठी शिकायत की आड़ लेकर उल्टा पुलिस ओर वरिष्ठ अधिकारियों का भय दिखाकर नियम कायदे का दर्पण दिखने वाले सीनियर बाबू को फसाने में लगे है..यही नही जब कार्यकाल का सारा स्टॉप इस बात से नकार रहा है की सीनियर बाबू शराब के नशे में कार्यालय में आये थे..केवल वही जूनियर बाबू जो सीनियर के आवेदन के बाद विचलित हो गया ओर प्रभावित हो रहा है जो डॉक्टर अजमेरसिह के चाहतों में है ..वो डॉक्टर के पुलिस शिकायत के गवाह बताये जा रहे है..सारी स्वम्भू कहानी की सत्यता समझ में आ रही है.. की आखिर कब तक ऐसे भृष्ट अधिकारी को सरक्षण जिले में मिलता रहेगा…जो अपने स्वार्थ के चलते खुले आम सरकार के नियम कायदे की उपेक्षा करते हुवे अपनी पहुँच की घोष जमाकर भय का वातावरण पैदा करने की कोशिश खुले आम करता रहे शासन की योजना में आर्थिक शोषण करता रहे..?आखिर शासन के नियम निर्देशो की अवेहलना का दौर कब तक चलेगा…?? आज दन्तेवाड़ा जिले की जनता शासन से पूछना चाहती है..
✍️दिनेश शर्मा