आदिवासियों के आर्थिक मजबूती की योजना में भारी भृष्ठाचार..
हितग्राहियों को नही मिला आधा भी कड़कनाथ मुर्गी दाना..
पशु विभाग दन्तेवाड़ा के चलते शासन प्रशासन की छवि हो रही घुमिल..

दिनेश शर्मा:-गीदम,
दंतेवाड़ा:-देश के नामी घोटाले में सबसे शर्मसार घोटाला बिहार में हुवा.. जहाँ गायों के चारे तक को चबा चबा कर बड़े बेशर्मी से खा गये लालू .. यह घोटाला शर्मसार इस लिए रहा की मुक्का जानवरो के दाने पर अगर इंसान की शर्म हया मर जाये…. तो इंसानियत तार तार होती दिखाई पड़ती है..ऐसे में इंसानियत इंसानियत नही होती.. हैवानियत हो जाती है..प्रश्न यह उठता है की क्या हम इतने गिर चुके की जानवरो के दाने पर भी अपनी नियत खराब कर ले…? उनके पेट काटकर अपने पेट भरने की व्यवस्था करे..?अगर हम जानवरो ओर पक्षियों के दाने खा जाये तो हमारी इंसानियत कहा थ जाती है..
बिहार का लालू चारा घोटाले के तर्ज पर दन्तेवाड़ा में मुर्गों के दाने के मामले में पशु चिकित्सा विभाग भी कम नही दिख रहा… जहा आदिवासियों को कड़कनाथ मुर्गियों के दाने की सप्लाई में भारी हेरा फेरी की बाते सामने आ रही है..आदिवासी हितग्राहियों को शासकीय योजना (डीएमएफ मद )से प्रत्येक हितग्राही को 5 लाख 60 हजार की स्वीकृति दी गई जिसमे 1000 चूजे तथा लगभग 197 बैग कुटकुट आहार भी समलित था.. जो 69 बैग के अनुपात में तीन किश्तों में हितग्राही को देना था जिसमे 330 चूजे भी प्रति किश्त में साथ में देने थे..ये 330 चूजों के पालने के लिए व्यवस्था का प्रावधान योजना में था… आदिवासी हितग्राहीयो ने आरोप लगाया है की उन्हें निर्धारित आहार का आधा दाना ही पशु विभाग से दिया गया… जो की 50 हजार से ऊपर का प्रत्येक कड़कनाथ कुटकुट पालन केंद्र का था..आदिवासी हितग्राही आरोप लगा रहे है की उनका दाना विभाग के चालाक अधिकारी खा गये.. क्योकि डीएमएफ मद से 5 लाख 60 हजार की स्वीकृति हो चुकी योजना में सारी राशि उप संचालक पशु विभाग को मिल चुकी है… तो आदिवासी हितग्राही को दाना हमे क्यो नही मिला..दाने के आभाव में हम मजबुरन बाजारों से महंगे दाने से कुटकुट पालन करने को बाध्य हुवे..प्रत्येक हितग्राही के हक का दाना उन्हें योजना के तहत लगभग 2,87 620 रुपये का कुटकुट आहार तीन चरणों मे मिलना था. उसमें हमे पहले चरण में ही 69 बैग के जगह केवल 30 से 35 बैग कुटकुट आहार दिया गया.. वो भी उपसंचालके कार्यालय के चक्कर पर चक्कर लगाने के बाद दिया गया… शासन को गंभीरता के साथ दन्तेवाड़ा जिले के देश व्यापी चर्चित कड़कनाथ मुर्गी पालन योजना के तह तक जाना चाहिए की आखिर आदिवासियों के आर्थिक विकास और उन्हें आर्थिक मजबती प्रदान करने वाली डीएमएफ मद से संचालित जिले की अहम योजना में आदिवासियों का कितना विकास हो सका और उनके लाखो करोड़ो की योजना से चालाक विभागीय अधिकारी आर्थिक रूप से कितने मजबूत हुवे…!शासन प्रशासन को आदिवासियों में पनप रहे आक्रोश पर गहराई से सोचना होगा और किसी ईमानदार निष्पक्ष जांच अधिकारी से डीएमएफ मद से बनी कुटकुट पालन योजना में हुवे कुटकुट आहार की जांच करानी चाहिए ताकि करोड़ो की योजना में बहती गंगा में हाथ धोने वालो का चेहरा उजागर हो सके… साथ ही दोषियों के गिरेबान पर शासन प्रशासन का हाथ पहुँचे ओर आदिवासियों के साथ न्याय हो..!