थके हारे मजदूरों की सेवा से पहुंचाई जा रही राहत
दक्षिणी राज्यों से मजदूरों का कोण्टा पहुंचने का सिलसिला जारी
मजदूरों को उनके गृह जिले और राज्य की सीमा तक पहुंचाने के लिए की जा रही वाहनों की व्यवस्था

मनीष सिंग:-सुकमा,
सुकमा:- माता सीता को ढूंढने के लिए नंगे पांव वन-वन भटक रहे भगवान राम को माता शबरी ने जुठे बेर खिलाकर इसी धरती पर तृप्त किया था। शबरी नदी के किनारे बसे कोंटा नगर में पहुंचने वाले थके हारे मजदूरों की सेवा कर फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है और अपने घरों की ओर जाने को लालायित मजदूरों को राहत पहुंचाकर उन्हें तृप्त किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के दक्षिणी छोर पर बसे कोंटा में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडू और केरल से घरों की ओर लौट रहे मजदूरों की वापसी का सिलसिला जारी है। विभिन्न संसाधनों के जरिए कोंटा तक पहुंचने वाले थके-हारे मजदूरों की आंखों में आशा की चमक तब दिखाई देती है, जब उन्हें छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश के साथ ही जलपान की सुविधा मुहैया हो जाती है। दक्षिणी राज्यों से वापसी करने वाले मजदूरों मंे झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के मजदूरों की वापसी का सिलसिला भी जारी है। दक्षिण के विभिन्न राज्यों से कोंटा पहुंचने वाले मजदूरों की वापसी के लिए शासन द्वारा बसों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि तपती धूप में इन्हें पैदल या ट्रक जैसे मालवाहक वाहनों में सफर न करना पड़े और ये सुरक्षित और सकुशल अपने-अपने घर पहुंच सकें। श्रमिकों को उनके गृह जिला तथा अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को भी राज्य की सीमा तक सकुशल पहुंचाने की निःशुल्क व्यवस्था शासन-प्रशासन ने की है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा अपने घरों की ओर वापसी कर रहे छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे प्रदेश के मजदूरों को भी राहत पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। इससे छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंचने वाले सभी श्रमिकों के चाय, नाश्ते, भोजन की सुविधा, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों के दुख दर्द पर काफी हद तक मरहम लगाने का काम किया हैै। सुकमा जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देशानुसार मजदूरों का ख्याल रखा जा रहा है और उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके सेवा-सत्कार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की अपील पर विभिन्न स्वयंसेवी संगठन भी सहयोग कर रहे हैं।
तपती दोपहर और दहकती सड़क पर नंगे पांव चल कर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों, महिलाओं और बच्चों का स्वागत सत्कार उन्हें चाय, नाश्ता देकर और चरण पादुका पहनाकर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने राशनकार्डविहीन श्रमिक परिवारों के प्रत्येक सदस्य को मई और जून माह में पांच-पांच किलो खाद्यान्न निःशुल्क देकर भी बड़ी राहत पहुंचाई है।