8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की विशेष रिपोर्ट
कोमल है तू कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है.,कुछ इसी तरह की लाइन को सार्थक कर रही हैं छत्तीसगढ़ की ये महिलाएं


अरुण सोनी:-बेमेतरा की विशेष रिपोर्ट,
बेमेतरा:-. कोमल है तू कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है। कुछ इसी तरह की लाइन को सार्थक कर रही हैं छत्तीसगढ़ की ये महिलाएं। जिन्हें कोमल और कमजोर माना जाता है।, आज वे कई अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी की इबारत लिखकर परचम लहरा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ ऐसी मजबूत और सशक्त महिलाओं की कहानी को पेश कर रहे हैं।, जो शिक्षा के क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़कर समाज को नई दिशा दे रही हैं।
बच्चों की देखभाल के लिए समर्पित जीवन
श्रीमती दुर्गा सोनी ने अपना पूरा जीवन बच्चों की तरह देखभाल के लिए समर्पित कर दिया। वे कहती हैं कि करीब आठ वर्ष की उम्र में ही पिता का साया उनके ऊपर से उठ गया । वे पांच बहन व एक भाई का परिवार हैं जिनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर था ।इसलिये घर में पढाई को विशेष ध्यान में नही रखा जाता था।घर की माली हालत खराब होने के कारण दो बहन व एक भाई ने पढाई न के बराबर की है।तीसरे नंबर की बहन दुर्गा सोनी शुरू से ही पढाई के प्रति रूचि होने से, व् बचपन में ही छोटे बच्चों को ट्यूशन का कार्य कर अपनी पढाई जारी रखा और आज वे सरस्वती शिशु मंदिर बिलासपुर में सेवा करते हुए लगभग 35 वर्ष हो गए है ।अभी वो निरन्तर सेवा करते हुये अपने पारिवारिक जीवन का निर्वाह कर रही हैं ।अध्ययन कार्य करने की प्रेरणा पैरेंट्स माता जी से मिली। गरीब परिवार होने के बाद भी उनकी माता जी ने बच्चों की पढाई का विशेष ध्यान देती थीं लेकिन वे स्वयं ही पढाई बहुत कम की थी।आज भी सरस्वती शिशु मंदिर मे बच्चों की संख्या 600 से ऊपर है। यहां पर उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने बताया कि इन बच्चों को समझने के लिए स्पेशल बीएड भी किया । आज उनको बिलासपुर सरस्वती शिशु मंदिर मे 35 वर्षो से सेवा कर रही हैं खुद को स्टेबल करने के लिए एेसे शुरू हुआ जीवन का संघर्ष बचपन में -बाप का प्यार छूटा तब भी मन का हौंसला कम नहीं हुआ। उन्हें बचपन से ही पढ़ने,पढ़ाने का शौक था, लेकिन सबसे पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाना था।