पीड़ित धर्मवीर गोयल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर की कार्यवाही की मांग
शासन प्रशासन से अपनी कृषि योग्य पांच एकड़ भूमि को खाली कराने की मांग की
अर्सेल मित्तल निपाल इंडिया स्टील लिमिटेड कंपनी व उनके ठेकेदारो द्वारा कृषि योग्य भूमि पर अवैध कब्जा कर लौह अयस्क चूर्ण का भंडारण

जिया न्यूज़:-दंतेवाडा,
दंतेवाडा:-बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा के जांच दल के द्वारा मौके के मुयायना करने के बाद इलाके के पीड़ित सामने आने लगे हैं। ऐसे ही एक पीड़ित धर्मवीर गोयल आज कलेक्टर दंतेवाड़ा से मिले व अपनी परेशानी से कलेक्टर को अवगत करवाया। कलेक्टर ने भी पीड़ित को मदद का आश्वासन दिया है।अर्सेल मित्तल निपाल इंडिया स्टील लिमिटेड कंपनी व उनके ठेकेदारो द्वारा कृषि योग्य भूमि पर अवैध कब्जा कर लौह अयस्क चूर्ण वेस्ट मटेरियल के अवैध रूप से भंडारण पर कार्रवाई की मांग को लेकर भूमि मालिक धर्मवीर गोयल ने इसका ज्ञापन कलेक्टर दंतेवाड़ा को सौंपा। दरअसल मामला यह है कि किरंदुल निवासी धर्मवीर गोयल जिनकी भूमि का खसरा नंबर 48/ 3 है व इस खसरा नम्बर में 5 एकड़ भूमि उनके नाम से दर्ज है। जो कि नगरपालिका क्षेत्र किरंदुल में आती है। इस जमीन पर उनके द्वारा वर्ष 2012 तक खेती किसानी की जा रही थी। वर्ष 2012 के बाद 2013 में आर्सेल मित्तल निपाल इंडिया स्टील लिमिटेड कंपनी के ठेकेदारों के द्वारा जबरन तरीके से व अवैध रूप से कब्जा कर वेस्ट मटेरियल का भंडारण अवैध रूप से कर खेती लायक जमीन को बंजर जमीन में तब्दील कर दिया गया। उसके बाद प्रार्थी द्वारा कई बार कंपनी को वेस्ट मटेरियल हटाने को कहा गया लेकिन भूमि मालिक द्वारा बोले जाने के बाद भी कंपनी द्वारा वेस्ट मटेरियल नही हटाया गया। आज तक कंपनी का लौह अयस्क का वेस्ट मटेरियल प्रार्थी की जमीन पर पड़ा हुआ है। जो कि खनन कानूनों के साथ-साथ पेसा कानून का भी उल्लंघन है साथ ही पांचवी अनुसूची लागू क्षेत्रों में राजस्व नियमों का भी उल्लंघन है। जो कि एक दंडनीय अपराध है। साथ ही लौह अयस्क के वेस्ट मटेरियल को कहीं भी फेंकना प्रकृतिके साथ खिलवाड़ है। इससे पर्यावरण, जल,वन सभी दूषित होते हैं। पीड़ित धर्मवीर गोयल ने कहा कि किरंदुल में दर्जनों ऐसे भूमि को अवैध रूप से कब्जा कर कंपनी व उसके ठेकेदारों द्वारा 30 से 40 फीट के गड्ढे खोदकर द्वारा अवैध रूप से लौह अयस्क के अपशिष्ट पदार्थों का भण्डारण किया जा रहा है। पीड़ित धर्मवीर गोयल बे कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए कंपनी पर आवश्यक कार्रवाई कर उनकी खेती योग्य भूमि को खाली करवाने की मांग की गयीं। अब देखने वाली बात है कि शासन प्रशासन इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है।