रंगों के त्यौहार के लिये सजा नगर का बाजार
केमिकल रंगों की अपेक्षा हर्बल रंगों की ज्यादा मांग

आरती सिंग गीदम
रंगों के पर्व होली के लिये नगर का बाजार सजने लगा है। रंगों के इस त्यौहार में रंग बिरंगे गुलाल,अबीर, टोपी,आकर्षक पिचकारी,भोंपू, के साथ ही बच्चों को मोहित करने वाले कार्टून मुखौटे सहित विभिन्न रंगों के गुलाल दुकानों में सजकर तैयार है। बच्चों को लुभाने के लिये कई प्रकार की पिचकारियां दुकानों में उपलब्ध है। दुकानदारों ने बताया कि इस बार होली के सामानों में पिछले वर्ष की तुलना में कुछ बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसका कोई असर रंगों के त्यौहार पर नही पड़ा हैं । ग्रामीण इलाकों से भी लोग बड़ी संख्या में रंग गुलाल खरीदने पहुँच रहे है। इस बार ग्रामीण और शहरी दोनों ही जगह के लोग हर्बल गुलाल खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे है। होली का त्यौहार आपसी भाईचारे का त्यौहार माना जाता है। इस दिन सभी आपसी द्वेष, मतभेद,बैर को भुलाकर आपस मे गले मिलते है और खुशियां बाटते है। पहले लोग फ़ाग गीत और नगाड़ो की थाप के साथ होलिका दहन करते थे,और रंग – गुलाल खेलते थे। लेकिन वर्तमान समय मे धीरे – धीरे इसके स्वरूप में बदलाव आते जा रहा है। वर्तमान पीढ़ी में इसका महत्व कम होते जा रहा है। दुकानदारों ने बताया कि इस बार कोरोना वायरस के कारण चीनी सामानों की मांग बहुत कम है। और कोरोना वायरस के कारण इस बार रंगों की बिक्री भी काफी प्रभावित हुयी है।