October 4, 2023
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*बस्तर में लौह खनन कम्पनियो की मनमानी दन्तेवाड़ा जिला बर्दास्त नही करेगा- सुजीत कर्मा

*एन एम डीसी व मित्तल निपान कम्पनियो द्वारा खनिज अधिनियम 2009 की अनदेखी व पर्यावरण नियमो की शर्तों को खुल कर किया जा रहा है। उलंघन-मोर्चा

*प्रभावितों को 50 लाख मुवाबजा व पुनर्वास पैकेज दे कम्पनियों के खिलाफ कार्यवाही करें सरकार ,नही तो होगा बड़ा आंदोलन

*पांचवी अनुसूची इलाके में ,पेशा कानून के प्रावधानों का उलंघन बर्दास्त नही

जिया न्यूज़ दंतेवाड़ा,

दंतेवाड़ा:-बस्तर संभाग के दन्तेवाड़ा जिला में कार्यरत एन एम डीसी व आर्षेल मित्तल निपान कम्पनी द्वारा खनिज अधिनियम 2009 व पर्यावरण व जल अनापत्ति की शर्तों का उलंघन कर लौह अयशक व अवशेष का अवैध भंडारन किया जा रहा है। विगत दिनों राज्य सरकार की टीम के द्वारा एन एम डीसी के लोडिंग प्लांट को बन्द करवा एन एम डीसी को 4 बिन्दुओ व मित्तल निपान कम्पनी को 7 बिंदुओं का नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं। पर अब तक कोई कार्यवाही नही की गई है। जो सरकार के मंशा पर सवाल उठाता है। बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा के दन्तेवाड़ा जिला सयोजक सुजीत कर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि ,आजादी के बाद से ही बस्तर में लौह खनिज के उत्खनन का कार्य जोरो पर है। वही सरकारी कम्पनियो के अलावा सहायक कई कम्पनियो ने यहाँ पैर पसार लिए है। पर कानूनों को ताक में रख बस्तर हितों की बलि चढ़ा कर अवैध रूप से कई कार्य किये जा रहे है। जिनकीं शिकायत विगत दिनों बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा द्वारा केंद्र व राज्य सरकार के मुखिया व संभागीय व जिला प्रशासन से सबूतों के साथ शिकायत की है। जिन पर जांच की बात कही जा रही है। बस्तर पांचवी अनुसूची के इलाको में से एक है। जहाँ पेशा कानून लागू है।ऐसे में बना सरकार व प्रशासन व ग्राम सभा के अनुमति के औधोगिक रूप से कोई भी कार्य करने की अनुमति नही है। ऐसे में हमारे भोले भाले बस्तर वाशियो की जमीनों को कौड़ी के भाव मे मुवावजा देने की बात कह रसायनिक लौह अवशेष का भंडारण कर उपजाऊ जमीनों को बंजर बनाया जा रहा है। हमारे भूमिगत जल श्रोतों को रासायनिक लौह अवशेष से दूषित वह महामारी फैलाने हेतु आमंत्रण दिया जा रहा है। डीएम एफ व सी ए सार की राशियों का कम मात्रा हमे प्राप्त होता है। जो आता है। वह भी ग्राम पंचायतों के बिना सलह के खर्च किया जाता है। यह सब विषय अतिगम्भीर है। जिन पर प्रशासन व सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों को संज्ञान ले कार्यवाही करनी चाहिए। पर सब खमोशी से बस्तर के अधिकार व विकास के आधार से खिलवाड़ होते देख रहे हैं। मोर्चा द्वारा यह मांग की जाती है कि प्रभावितों को 50 लाख प्रति एकड़ मुवाबजा ,पुनर्वास पैकेज के सभी लाभ व कम्पनियो की चूक पर गम्भीर कार्यवाही की जाए ,यदि सरकार व प्रशासन द्वारा इन शर्तों का पालन नही किया गया तो मोर्चा द्वारा आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा

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