नगरनार स्टील प्लांट का विनेवशिकरण ,केंद्र व राज्य सरकार का बस्तर के साथ विशवासघात- मोर्चा
बस्तर के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता का फायदा उठा रही है। केंद्र सरकार – मोर्चा
प्लांट का 95 प्रतिशत निर्माण पूरा,लौह अयशक सप्लाई के बैलाडिला 4 नम्बर डिपॉजिट दे प्लांट को निजी हाथों में देने पर विचार कर रही है। सरकारें-मोर्चा
बस्तर हित की शर्तें तय बिना किये, राज्य सरकार द्वाराNMDC की लौह उत्खनन लीज को बढ़ा देना बस्तर के लिए विनास का कारण न बने
भपेश सरकार ने विपक्ष में रहते हुए नगरनार स्टील प्लांट के विनेविशिकरण के विरोध में प्लांट से की थी विरोध पद यात्रा

जिया न्यूज़:-जगदलपुर,
जगदलपुर:-बस्तर संभाग के जिला बस्तर में सन 2001 में मेगा स्टील प्लांट के लगाने के सपने को लेकर जगदलपुर शहर से 18 किलोमीटर स्थित नगरनार में आधारशिला रखी गई,2हजार एकड़ से अधिक बस्तर वाशियो की निजी व शासकीय जमीनों का अधिग्रहण कर राज्य व केंद्र सरकारो के द्वारा बस्तर विकास के सपनो के मॉडल को सांझा कर NMDC से स्टील प्लांट की दुनिया मे कदम रखने की शुरुवात करवाई ,जिस पर बस्तर वाशियो ने भारी विरोध के बाद भी बस्तर विकास के सर्व हित को ध्यान में रख अपनी माँ स्वरूप जमीनों को बस्तर के भविष्य को आधार मान प्लांट के निर्माण अनुमति प्रदान कर दी ,जमीन अधिग्रहण के साथ ही ,नगरनार स्टील प्लांट का निर्माण ठंडे बस्ते में जाते दिखा, जिस के कारण बस्तर के भविष्य के सुधार का विस्वाश टूटने लगा तो फिर राज्य सरकार ने 2008 पुनः प्लांट के लगने का विसवास दिला NMDC के कहने पर और हजारों एकड़ जमीनें अधिग्रहित की और धीरे धीरे स्टील प्लांट का कार्य प्रारम्भ हुआ जो आज 2020 में भी कार्यरत हैं। आज इस प्लांट की लागत अपने मूल लागत से बढ़ कर दुगनी हो गई है।NMDC के प्लांट लगाने व चलाने की योजना व केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा बस्तर विकास के विस्वाश को आधार मान प्लांट के चालू होने की राह हर बस्तरिया देख रहा है। कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की बस्तर के अधिकारों के प्रति उदासीनता को समझ नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौपने की तैयारी NMDC के साथ मिलकर चालू कर दी है। जिसकी सुरवात 2013 से अब तक समय समय पर की जा रही है। दोनो ही राष्ट्रीय पार्टियो की सरकार केंद्र व राज्य में रह चुकी हैं। उसके बावजूद राज्य स्तर के पार्टी के नेता राष्ट्रीय स्तर पर बस्तर के अधिकार व विकास की शर्तों के लिए अड़ नही पा रहे हैं। बस्तर स्तर के भी सभी जनप्रतिनिधियों की मजबूरी ,विपक्ष की खामोशी ने प्लांट के निजीकरण का रास्ता प्ररसथ किया है। अब केंद्र सरकार प्लांट की सही कीमत वशूलने के लिए बैलाडिला के 4 नम्बर के लौह डिपॉजिट को भी देने का स्कीम रखा है। वही राज्य सरकार के द्वारा सिर्फ राजस्व के लालच में बस्तर के हितों से समझौता करते हुए बिना बस्तर विकास की शर्तों को तय किये NMDC के लौह उत्खनन लीज का रिनिवल कर दिया गया जबकि NMDC द्वारा लीज की अनुमति की कई शर्तो का उलंघन किया था ।जिस पे तात्कालिक प्रशासन ने 16 अरब का जुर्माना लगा कर लीज रिनिवल से पहले इन समीक्षा करने की बात लिखी थी । पर तात्कालिक भपेश सरकार ने 600करोड़ों रुपये जमा करवा लीज रिनिवल कर दिया,वही NMDC द्वारा बाकी बची जुर्माना की रकम को जमा करने से मना कर उच्च न्यायलय में याचिका लगा दी गई हैं। जबकि वर्तमान सरकार द्वारा 2009 के खनिज अधिनियम के उलंघन के आरोप में लौह डंपिग पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में बस्तर के भविष्य के सपने नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में देने की शुरुवात केंद्र सरकार व NMDC द्वारा प्रारम्भ कर दी है। जो बस्तर के साथ विस्वासघात है। जिसे रोकने में राज्य सरकार उदासीनता सवालों के घेरे में है।राज्य सरकार की उद्योग व खनिज नीति की कमियों ने आज बस्तर के भविष्य को निर्धारित करने वाले मेगा स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौपने के कगार पर लाकर रख दिया है।बस्तर के हित यह बेहद गम्भीर व चिंता का विषय है। जिसे लेकर न बस्तर के विपक्ष न ही जनप्रतिनिधि गम्भीर दिख रहे हैं। विरोध के नाम पर कुछ अखबारी स्टेटमेंट व धरने व रैली तक खुद को सीमित रखे हुए हैं। जो बस्तर के साथ अन्याय है। जिसका बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा खुल कर विरोध करता है। मोर्चा के सयोजक व प्रवक्ता नवनीत चाँद ने केंद्र व राज्य सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बस्तर के विश्वाश व अधिकारों के साथ धोखा किया जा रहा है। जिसका बस्तर पुरजोर विरोध करेगा