हारम में मिला नक्सली पर्चा
जब आधा शहर मदहोश होकर आराम की मुद्र्रा में नीद में सो रहा था..!
शोषण भृष्ठाचार के आरोपो के साथ पार्टी छोड़ने की चेतावनी भरा पर्चा मिला

दिनेश शर्मा गीदम:-
अर्ध रात्री में सुनसान हारम चौक पर भाजपा और काग्रेस के नेताओ की संयुक्त नामो की सूची में शोषण भृष्ठाचार के आरोपो के साथ ही पार्टी छोड़ने की बातो के साथ ही चेतावनी भरा पर्चा मिलना..!संदेह को जन्म देता है..! हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से जांच की आश्यकता तो बनती है..वही संदेह के दायरे में भी आता है की कही नक्सलियों की आड़ में कोई भंग की तरंग में ऐसी हरकत तो नही किया..? शासन स्तर से होने वाली सुरक्षा की समीक्षा के चलते ऐसा तो नही किया गया..? ऐसे कई प्रश्न पर्ची के मिलने के बाद लोंगो की जुबान पर है…दर असल पर्ची की राइटिंग व भाषा शैली प्रथम दृष्टया किसी की शरारत जान पड़ती है..! इससे अंदाजा लगाया जा रहा है की पर्चे की शैली के पीछे कोई बहुत बड़ा कारण भी हो सकता है..जिसकी जांच बहुत बारिकी से होनी ही चाहिए..आश्चर्य है की आखिर होली के दिन ही क्यो चुना गया.. जब आधा शहर मदहोश होकर आराम की मुद्र्रा में नीद में सो रहा था..! इस मामले में पुलिस को सत्यता की तह तक जाना ही होगा की कही नक्सलियों की आड़ में कोई शरारती तत्व ऐसा तो नही कर रहे है.. क्योकि कुछ दिनों बाद “रंग पंचमी” भी तो आ रही है..!
उसका भी फायदा उठाकर ऐसे तत्व दूसरी लिस्ट भी जारी कर सकते है..? ओर भय का वातावरण निर्मित करने का प्रयास भी हो सकता है… हारम चौक में होली के रंग के बाद भंग के तरंग की रात्री में हारम चौक के मध्य में पत्थरों से दबाकर रखी पर्ची पर संदेह की सुई टिकी तो है..? इस पर्ची के
संदेह के बाद तो.. जिन पत्थरो से पर्ची को दबाया गया था..अब तो उन पर भी संदेह होने लगा है..? वो भी भंग के नशे में बम ही दिखाई पड़ रहे है..? डर तो इस बात का है की कही वो भी पत्थर उठकर न कहे मुझे फटना है…!! चाहे कुछ भी हो मामला सुरक्षा से जुड़ा है इस लिये इसकी जड़ो तक जाना ही होगा..!ओर सत्यता को जनता को दिखाना होगा..जबाबदेह विभाग को सूक्ष्मा के साथ जांच करते हुवे मामले की हकीकत तक पहुँचना होगा ताकी पता तो चले कि आखिर सच्चाई क्या है..? पर्ची की सत्यता क्या है ..? ओर उसके पीछे असली हाथ किसका है..? ओर वो कोंन से नक्सली है जिन्होंने होली की रंग और भंग में डूबे शहर का लाभ उठाकर पर्चे चौक के मध्य में रखने में सफल होकर भय का वातावरण पैदा करने की कोशिश की.. इसे चुनोती के रूप में पुलिस को लेकर जांच करनी चाहिए..?क्योकि ओर अगर शरारत हुई है तो ऐसे लोंगो को सलाखों के पीछे भेजना होगा जो नक्सलियों की आड़ लेकर ऐसा कृत्य कर भय पैदा करने का प्रयास कर रहे है..!ऐसी आशा है की मामले की सत्यता बहुत जल्द जनता के सामने आएगी..