शक्ति गारमेंट संस्था मैं नारी शक्ति मूलभूत समस्या से जूझ रही है
शक्ति गारमेंट संस्था का ना तो पंजीयन ना रजिस्ट्रेशन ना ही बीमा


मुकेश श्रीवास दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा जिले में शक्ति गारमेंट संस्था को सशक्त करने के लिए शक्ति गारमेंट संस्था का आरंभ किया गया था इस योजना के अंतर्गत स्त्रियों को सरकार सहारा देकर उन्हें सशक्त बनाती है परंतु यह योजना केवल कागजों में ही सशक्त रह गई है जमीनी स्तर पर तो कहानी कुछ और ही बयां करती है ।
जिले में स्थित चितालंका में लाइवलीहुड कॉलेज के नाम पर हो रही धांधली के चलते शक्ति योजना बलि चढ़ गई ।
इस लाइवलीहुड में करोड़ों की लागत से शुरू हुई सभी योजनाए बन्द हो गई है फिर भी उसका नाम लाइवलीहुड तो रहा।
परंतु उस भवन में चल रहे शक्ति गारमेंट संस्था का कहीं भी नामोनिशान नहीं है शक्ति गारमेंट संस्था महिलाओं का ना तो बीमा है ना ही संस्था का कोई रजिस्ट्रेशन है लोहे समय-समय पर महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है साथ ही लाइवलीहुड में बहुत से वाटर प्यूरीफायर खरीदे गए हैं जो अभी भी बंद पड़े हैं ।
इन वाटर प्यूरीफायर फिल्टर होने के बाद भी उस भवन में शक्ति गारमेंट संस्था में कार्यरत महिलाएं प्याऊ जल के लिए तरस रही हैं और उन्हें पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पा रहा
एक तरफ सरकार महिलाओं को सशक्त करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही है परंतु धरातल पर देखा जाए तो यह महिलाएं छोटी-छोटी मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है
इन महिलाओं का हक भी सरकार उनसे छीन रही है उनके अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें यह तक नहीं मालूम की शक्ति गारमेंट संस्था के तहत किन कंपनियों के साथ वह काम कर रही हैं।
और सरकार के साथ काम कर रहे कर्मचारीयो को बहुत सी सरकारी प्रावधानो के तहत लाभ मिलता है उससे भी वे वंचित हैं ।
क्योकि उन्हें अपने अधिकारों का पता ही नहीं है जिसका फायदा मध्य के कारोबारी उठा रहे है।
जिसके कारण उनमें आक्रोश के साथ भय भी है कि समाज से लड़ने के बाद शक्ति गारमेंट संस्था में जुड़ कर भी उनका कोई फायदा नहीं हो पा रहा।
सरकार बस उन्हें मानदेय, देकर एक दैनिक मजदूर की तरह कार्य करवा रही है परंतु उनकी पहचान उनसे छीन रही है ।
लाइवलीहुड के भवन में शक्ति गारर्मेंट संस्था चल रही है मगर वहाँ शक्ति गारर्मेंट संस्था का उल्लेख कहि भी नही है। महिलाओ का कहना है कि इतनी मेहनत का क्या केवल उन्हें मानदेय मिलेगा क्या उन्हें कोई पहचान मिल पाएगी कि नहीं मिल पाएगी
इस पर वह चिंतीत रहती हैं ।
इसके अलावा सरकार द्वारा चल रहे योजनाओं को सरकार ने बंद करा दिया है जिससे करोड़ो की लागत से खरीदे समान केवल वेस्ट मटेरियल रह गए है।
जिससे सरकार का भी बहुत नुकसान हो रहा है और सरकार खरीदे हुए उन सामानों का उपयोग न करके और अन्य सामान खरीदने में लगी हुई है।
जिन योजनाओं से नारी शक्ति को आगे बढ़ – चढ़कर काम करने का सरकार ने विजन बनाया था आज वह विजन और मिशन दोनों ही जमीनी स्तर पर विफल नजर आ रहे हैं