भारत की कम्युनिस्ट पार्टीभारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो दंडकारण्य द्वारा जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति
ब्यूरो दंडकारण्य द्वारा जारी की गयी प्रेस विज्ञप्ति
सरकार व सुरक्षा बलो पर लगाये गंभीर आरोप

दिनेश गुप्ता-दंतेवाड़ा,
सरकार की दमनकारी नीति के विरोध में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो दंडकारण्य द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार पर कई आरोप लगाये गये हैं। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने किस्ताराम से लेकर अबूझमाड़, तेलंगाना से लेकर महाराष्ट्र बॉर्डर तक सुरक्षाबलों के कोबरा सीआरपीएफ डीआरजी एसटीएफ को तैनात कर 10 से लेकर के 20 फरवरी तक ऑपरेशन प्रहार के नाम से जो ऑपरेशन चलाया था उससे आम जनता को बहुत परेशानी हुई है। और इस ऑपरेशन प्रहार के माध्यम से सरकार व सुरक्षा बल के जवानों ने भारी आतंक मचाया है। सरकार का लक्ष्य जन आंदोलन को कुचल कर यहां पाये जाने के संसाधनों को देश-विदेश के बड़े उद्योगपतियों को सौंपने के लिए यह सब किया जा रहा है। बैलाडीला की पहाड़ियों में पाये जाने वाले बेशकीमती खनिज संपदा को लूट कर ले जाने के लिये और इसके अधिकार से गरीब आदिवासी जनता को दूर रखने के लिए लगातार सैनिक अभियान चलाये जा रहे है। सरकार द्वारा सड़क पुलिया का लगातार निर्माण किया जा रहा है। जगह-जगह पुलिस कैंप बनाए जा रहे हैं। और गांव की ग्रामीणों की जमीन और देवी-देवताओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिसका लगातार गरीब आदिवासी जनता विरोध कर रही है। लेकिन सरकार जनता की आवाज को न सुनकर उसका जवाब गोली और जनता को प्रतारणा दे कर दे रही है। पुलिस को ऑपरेशन प्रहार में हुए नुकसान को छुपाने के लिए माओवादियों को भारी नुकसान होने का झूठा प्रचार किया गया। जबकि वास्तव में सुरक्षा बल को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। साथ ही सरकार के इस सभी अभियानो में गरीब आदिवासी जनता को बहुत नुकसान पहुंचा है। सुरक्षाबलों द्वारा आम जनों की हत्या अत्याचार लूटपाट उनके सामान को चोरी किया गया है। वही टोंडामरका का गांव का वंडो भीमा जो कोन्टा के छात्रावास में 10वी कक्षा में पड़ता था। उसे उसके गांव टोंडामरका में सुरक्षा बलों द्वारा पकर हत्या कर दिया गया और उसे माओवादी कहते हुए झूठा प्रचार किया गया। जबकि टोंडामरका का गांव का वंडो भीमा कोन्टा में कक्षा दसवीं में पढ़ता था। उसी तरह पेंटा पाड़ गांव के पोडियम सुक्का को गॉव से पकड़कर ले गये। और अरलेम गॉव के पास झूठी मुठभेड़ बताकर मार दिया। और इन सब को माओवादी बताने की मनगढ़ंत कहानी पुलिस द्वारा गढ़ी गई। बस्तर में हत्या लूटपाट अत्याचार चोरी आम बात हो गई है। अभी तक जितने भी मुठभेड़ की कहानी पुलिस द्वारा बताई गई है वह सब हत्या ही है। पुलिस का बर्बरता पूर्वक चेहरा, हत्याकांड, और फासीवाद चेहरा उजागर हुआ है।सरकार व सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध में शामिल होने के लिए और उनके खिलाफ आंदोलन के लिए आम जनता से माओवादी संगठन द्वारा अपील की गई है। और कहा गया है कि अपने अधिकार के लिए अपने नारे को बुलंद रखें और लाल झंडे के तले इकट्ठा होकर के संघर्ष करने के लिए आगे आये।