

रिपोर्टर:-अरुणकुमार सोनी बेमेतरा,
बेमेतरा -नसबंदी के दौरान महिला की मौत की खबर दिन-ब-दिन सुर्खियों बटोरती नजर आ रही है। वही मृतिका के परिजनो ने बेमेतरा हेल्थकेयर हास्पीटल के संचालक व सर्जन पर सख्त कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।
लोगो को सरकारी अस्पताल में नसबंदी कराने की सलाह देने के बजाय अपने निजी स्वार्थ पूरी करने के लिए अपने ही निजी अस्पताल में नसबंदी करवाना डॉक्टर वर्मा को महंगा पड़ गया है। एक तरफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट नर्सिंग होम एक्ट का पालन करने का आदेश तो जारी किया किंतु आज भी खुलेआम पैसों की लालच में आकर गांव के भोली-भाली जनताओ कि सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिनका जीता जागता उदाहरण बेमेतरा जिले के नवागढ़ ब्लॉक अंतर्गत के ग्राम गनियारी निवासी प्रमिला साहू पति खुमान साहू के दो बच्चे हैं। जो नसबंदी कराने के लिए बेमेतरा के जिला मुख्यालय में पदस्थ डॉ वर्मा की क्लीनिक बेमेतरा हेल्थ केयर हॉस्पिटल पहुंच कर नसबंदी कराई किंतु नसबंदी आपरेशन के दौरान लापरवाही पूर्वक ऑपरेशन के दौरान महिला की पेट की आंत में छेद होने के वजह से पेट का फुलना एवं मवाद होने से मृतिका को असहनीय दर्द बढ़ने से वर्मा हेल्थ केयर हॉस्पिटल के द्वारा आक्सीजन की प्रर्याप्त सुविधा नहीं होने का झांसा देकर स्वयं पीड़िता के परिवार के सदस्यों को रायपुर के श्री नारायणा में रिफर कर अपनी गलती को छुपाने का प्रयास किया।
बेमेतरा मुख्यालय में आज भी जिला प्रशासन के सहयोग से पुरे बेमेतरा जिले में सैकड़ों की तादात में खुलेआम झोलाछाप डॉक्टरो की क्लीनीक धड़ल्ले से चल रही है तथा नये नये हॉस्पिटल खुल गए ।जिन की जानकारी जिला प्रशासन को है किंतु लोगों को महज दिखावा करने के लिए कुछ दिनो के लिए झोलाछाप डॉक्टरो के ऊपर कार्यवाही कर महज खाना पूर्ति करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार राशन कार्ड में इलाज कराने का फैसला लिया। साथ नसिंग होम एक्ट का नियमावली को दरकिनार कर सरकारी सुविधाएं इलाज मुहैया कराने उन्हें क्लीनिको को दे रही है। जिनके पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।
गौरतलब हो की सरकार नसबंदी और जचकी को सरकारी अस्पताल में कराने के लिए गांव गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व मितानिनों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे है। साथ ही प्रोत्साहन राशि सरकार मुहंया करा रही हैं ।
प्राप्त जानकारी से पता चला है कि बेमेतरा हेल्थ केयर हॉस्पिटल बेमेतरा को सामान्य उपचार के लिए अनुमति मिली है। किंतु आपरेशन करने वाले क्लीनिक पर जिला प्रशासन की अधिकारी जांच करने के बजाय उन पर मेहरबान है जिनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि जिला प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी उनको खुली छूट दे रखी है।
हाईकोर्ट के आदेश को ताक में रखकर ग्रामीण अंचलो के लोगों के सेहत व उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
वही मेडिकल स्टोर संचालन का सह ग्रामीण अंचलओ के झोलाछाप डॉक्टर को बड़ी राहत प्रदान कर रही है आपको बता दूं कि मेडिकल स्टोर संचालकों के द्वारा बिना एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों के बिना पर्ची लिखे गांव के झोलाछाप डॉक्टरों के दे रहे है दवाईया ।आपको बता दूं की झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ले मेडिकल संचालको का कारोबार टिका हुआ है ।साथ कई मेडिकल स्टोर संचालक मेडिकल स्टोर के आड़ में खुलेआम गर्भवती महिलाओं व छोटे छोटे बच्चों का इलाज कर रहे हैं।जिला प्रशासन की चुप्पी एक सवालिया को जन्म दे रहा है।