जिया न्यूज़:-सुभाष यादव-दंतेवाड़ा,
जैविक किसानों के फसलों को मार्केटिंग के लिए 1 करोड़ 4 लाख 52 हजार रूपये के लागत से निर्मित भवन अपने मूल उद्देश्य से भटका
दंतेवाड़ा- जिले में जैविक खेती से उत्पन्न जैविक उत्पादन को बेचने के लिए जिला प्रशासन ने जैविक बाजार भवन के निर्माण कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति 13 नवम्बर वर्ष 2015 को मंजूरी दी। जैविक बाजार भवन निर्माण की जिम्मेदारी कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी विभाग सेवा-दंतेवाड़ा को दी गई। एनएमडीसी परिक्षेत्र विकास निधि अंतर्गत वर्ष 2015-16 में भवन का निर्माण कार्य निम्न चरणों मे प्रारम्भ किया गया। आर्गेनिक कैफे हेतु ग्राउंड फ्लोर का निर्माण कार्य, एम्फीथिएटर एवं अतरिक्त सिविल कार्य 29.480 राशि लाखों में।आर्गेनिक मार्ट हेतु शॉप के बेसमेंट फ्लोर का निर्माण कार्य 39.640 राशि लाखों में।आर्गेनिक मार्ट हेतु शॉप के बेसमेंट फ्लोर का निर्माण कार्य 35.400 राशि लाखों में। कुल 104.520 राशि लाखो में,(एक करोड़ चार लाख बावन हजार रुपये) की लागत से भवन का निर्माण किया गया।जिस उद्देश्य से जैविक बाजार भवन बनाया गया वह अपना अस्तित्व खोता हुवा।
भवन बना किसानों के जैविक बाजार के लिए, लेकिन संस्था कर रही बेज़ा इस्तेमाल जिला प्रशासन दंतेवाड़ा ने जिले के किसानों को जैविक खेती के लिए बाजार उपलब्ध कराने करोडों के भवन बनाये । जिनके लिए यह भवन फायदेमंद होना था वही ठगा गया है ।जिला प्रशासन द्वारा बेकरी व्यवसाय के लिए विशेष प्रशिक्षित कर मानव तस्करी और ट्रांसजेडर्स के समूहों को दिया जा रहा है ।एक ओर तो किसानों का हितैषी होने का सरकार दावा करती है तो दूसरी ओर किसान आत्महत्याएं करने मजबूर होते है ।जिले की भूमगादी संस्था किसानों के लिए मैदान में अमले सहित तैनात होने के कागजी सबूत देती है तो दूसरी ओर किसानों को इस संस्था के कार्यों की ही जानकारी नहीं है ।ऐसे में किस तरह से किसान जैविक खेती की ओर आकर्षित होंगे ।जिले को सरकारी हो या गैरसरकारी योजना हो, धरातल पर खोखली ही साबित होती है ।ऐसी अनेक संस्थाएं जिले में कागजों में संचालित है और सरकारी अनुदान डकारने के लिए ही पंजीकृत है ।ऐसे सभी संस्थाओं की जांच कर इनका पंजीयन निरस्त कर प्रकरण के तहत कार्यवाही करना होगा ।