जिया न्यूज:-जगदलपुर,

जगदलपुर:-खैरागढ़ (राजनांदगाव) कत्थक के पर्याय दिवंगत पंडित बिरजू महाराज को आज इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के द्वारा श्रद्धांजलि दी गयी। कुलपति पद्मश्री ममता (मोक्षदा) चंद्राकर, कुलसचिव प्रो आईडी तिवारी तिवारी, पूर्व कुलपति डॉ. मांडवी सिंह समेत समस्त विश्वविद्यालय परिवार की उपस्थिति में स्व. बिरजू महाराज के प्रति शोक प्रस्ताव का वाचन किया गया।
शोक प्रस्ताव का वाचन कुलसचिव प्रो. आईडी तिवारी के द्वारा किया गया। शोक प्रस्ताव का वाचन करते हुए कुलसचिव प्रो. तिवारी ने कहा कि पं. बृजमोहन मिश्र, जो पं. बिरजू महाराज के नाम से विश्व विख्यात हुए। उनका जन्म 4 फरवरी, 1938 में लखनऊ कालका बिंदादीन घराने में हुआ था। आप विख्यात गुरू अच्छन महाराज के पुत्र थे। आपके चाचा शम्भू महाराज एवं लच्छु महाराज थे। पिता की मृत्यु के बाद आपको नृत्य की शिक्षा आपके चाचा से मिली। आप कथक नर्तक के साथ-साथ गायक एवं कोरियाग्राफर एवं कुशल वादक भी थे।
आपके तीन पुत्रियां एवं दो पुत्र हैं। आपने 13 साल के उम्र में एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन की कला यात्रा प्रारम्भ की। जल्द ही आपको संगीत नाटक अकादमी के कथक केन्द्र में शिक्षकों की एक टीम के नेतृत्व करने का अवसर प्रदान किया गया । 1998 में 60 वर्ष की आयु में आप वहाँ से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के उपरान्त आपने कलाश्रम नामक संस्था खोलकर कथक के अलावा वाद्य संगीत, योग पेंटिंग, संस्कृत नाटक, मंच कला में प्रशिक्षण देना शुरू किया। महाराज जी ने सात साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था। वे ठुमरी, दादरा भजन और गजल आदि विधाओं के मूर्धन्य कलाकार थे। महाराज जी कवितायें भी लिखते थे। उन्होंने कई बैले रचनाओं के लिये गीत भी लिखें हैं । महाराज जी सिनेमा जगत की प्रसिद्ध हस्ती थे। सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित फिल्म ‘शतंरंज के खिलाड़ी’ में आपने दो नृत्य दृश्यों की रचना की थी जिसमें उन्होंने अपनी आवाज भी दी थी। आपने 2002 में देवदास फिल्म में ‘काहे छेड़ मोहे गाने’ को कोरियाग्राफ किया था। आपने डेढ़ इश्किया, उमरॉव जान और बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्मों में भी कोरियोग्राफी की। आपने दक्षिण भारतीय फिल्म ‘विश्वरूपम’ में भी कोरियोग्राफी की थी, जिसे राष्ट्रीय पुरूस्कार मिला था। कला एवं संस्कृति में विशिष्ट योगदान हेतु आपको 1986 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया । मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कालीदास सम्मान, संगीत नाटक अकादमी पुरूस्कार, सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, संगम कला पुरूस्कार, से आपको नवाजा गया था । अपने शिष्यों के मध्य आप बहुत लोकप्रिय थे, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ ने आपको मानद डी.लिट् की उपाधि से विभूषित किया था । इस विश्वविद्यालय से महाराज जी का गहरा नाता रहा है। आपकी कार्यशालाओं तथा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों से विश्वविद्यालय के समस्त सदस्य लाभ प्राप्त करते रहें हैं। पं. श्री बृजमोहन मिश्र (बिरजू महाराज जी) का आकस्मिक निधन दिनांक 17 जनवरी को हो गया। आपके आकस्मिक निधन से विश्वविद्यालय परिवार अत्यंत शोकाकुल है । आपको विश्वविद्यालय परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजली अर्पित है। विश्वविद्यालय परिवार के समस्त सदस्य इस दुःख की घड़ी में सहभागी हैं। हम ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना करते हैं।