जिया न्यूज़:-अरुण सोनी-बेमेतरा,
बेमेतरा- : बेमेतरा के नयापारा के नटराज टेण्ट हाउस के पास पृथ्वी राज चौहान की जयंती पर सोशल डिस्टेन्स का पालन करते हुये याद किया गया। पृथ्वीराज चौहान की जयंती पर राजपूत क्षत्रिय युवा महासभा छत्तीसगढ़ 38271 के लोगों ने पुष्प माला अर्पित कर पूज अर्चना कर याद किया गया ।आज पृथ्वीराज चौहान की जन्मजयंती पर हम सब संकल्प लें कि उनकी तरह ही हम धर्म रक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहेंगे, साथ ही ये सीख भी कि विधर्मियों को कभी माफ़ नहीं करेंगे.।

पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास मे एक बहुत ही अविस्मरणीय नाम है. हिंदुत्व के योद्धा कहे जाने वाले चौहान वंश मे जन्मे पृथ्वीराज आखिरी हिन्दू शासक भी थे. महज 11 वर्ष की उम्र मे, उन्होने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात दिल्ली और अजमेर का शासन संभाला और उसे कई सीमाओ तक फैलाया भी था, परंतु अंत मे वे विश्वासघात के शिकार हुये और अपनी रियासत हार बैठे, परंतु उनकी हार के बाद कोई हिन्दू शासक उनकी कमी पूरी नहीं कर पाया . पृथ्वीराज को राय पिथोरा भी कहा जाता था . पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योध्दा थे, उन्होने युध्द के अनेक गुण सीखे थे. उन्होने अपने बाल्यकाल से ही शब्दभेदी बाण विद्या का अभ्यास किया था।.धरती के महान शासक पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 मे हुआ. पृथ्वीराज अजमेर के महाराज सोमेश्र्वर और कपूरी देवी की संतान थे।. पृथ्वीराज का जन्म उनके माता पिता के विवाह के 12 वर्षो के पश्चात हुआ. यह राज्य मे खलबली का कारण बन गया और राज्य मे उनकी मृत्यु को लेकर जन्म समय से ही षड्यंत्र रचे जाने लगे, परंतु वे बचते चले गए. परंतु मात्र 11 वर्ष की आयु मे पृथ्वीराज के सिर से पिता का साया उठ गया था, उसके बाद भी उन्होने अपने दायित्व अच्छी तरह से निभाए और लगातार अन्य राजाओ को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार करते गए। पृथ्वीराज के बचपन के मित्र चंदबरदाई उनके लिए किसी भाई से कम नहीं थे.। चंदबरदाई तोमर वंश के शासक अनंगपाल की बेटी के पुत्र थे ।चंदबरदाई बाद मे दिल्ली के शासक हुये और उन्होने पृथ्वीराज चौहान के सहयोग से पिथोरगढ़ का निर्माण किया,। जो आज भी दिल्ली मे पुराने किले नाम से विद्यमान हैं। अब समय बदला है तथा हिंदुस्तान न सिर्फ पृथ्वीराज चौहान बल्कि उनके जैसे तमाम हिन्दू कुलभूष्णों के गौरवशाली कार्यों को याद कर, उनका अनुसरण कर आगे बढ़ रहा है।. आज पृथ्वीराज चौहान की जन्मजयंती पर हम सब संकल्प लें कि उनकी तरह ही हम धर्म रक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहेंगे, साथ ही ये सीख भी कि विधर्मियों को कभी माफ़ नहीं करेंगे.।