जिया न्यूज़:-दंतेवाड़ा,
बैठक आयोजित करने या भाग लेने व हस्तक्षेप करने पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही
राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति या निकट संबंधी रिश्तेदार या अन्य किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा कार्यालय का कार्य संपादित करने, बैठक का आयोजन करने, एवं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भाग लेने या हस्तक्षेप करने को गंभीरता से लेते हुए निर्वाचित सदस्य व पदाधिकारी द्वारा अधिकृत किये जाने पर कर्तव्यों के निर्वहन में असमर्थता व एवं दुराचार की श्रेणी में मानते हुए कार्रवाई करने का प्रावधान किया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी कलेक्टर, जिला परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को आदेश जारी कर किसी भी संस्था में ऐसा पाए जाने पर संबंधित महिला सदस्य या पदाधिकारी के विरुद्ध छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 38 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
देखा जा रहा है कि पंचायती राज संस्थाओ में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति, निकट संबंधी, रिश्तेदार या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा कार्यालय का कार्य संपादित किया जा रहा है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पूर्व में 26 मई 2010 को जारी विभागीय आदेश की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सभी अधिकारियों को पंचायती राज संस्थाओं में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होने देने एवं यदि ऐसा कही पाए जाने पर संबंधित निर्वाचित जनप्रतिनिधि एवं सहयोग करने वाले अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित कर छत्तीसगढ़ पंचायती राज विभाग को अवगत कराने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि वर्तमान में यह देखा जाता है कि देश मे पंचायती राज में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिये आरक्षित है। लेकिन ग्राम पंचायतों में महिला जनप्रतिनिधियों की पहचान के बीच उनके पति का नाम लिखा जा रहा है। वही अन्य दूसरे शासकीय विभागों में 33 प्रतिशत पद महिलाओ के लिये आरक्षित है। निर्वाचन महिला प्रतिनिधियों की जगह उनके पति कार्य कर रहे है। लेकिन अब पंचायती राज विभाग ने इस पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये है।